सार
मेरा चेहरा नहीं दिल पढ़ो तो कोई बात है
किताबी बातों में कोई सार कहाँ रखा है
कभी तो कोई गुलाबी शाम मेरे भी हिस्से होगी
सपनों में ही जी लूँ कुछ शब, कुछ मंज़र मैं
हकीक़त की दुनिया में गुलो गुलज़ार कहाँ रखा है
किताबी बातों में कोई सार कहाँ रखा है
कभी तो कोई गुलाबी शाम मेरे भी हिस्से होगी
सपनों में ही जी लूँ कुछ शब, कुछ मंज़र मैं
हकीक़त की दुनिया में गुलो गुलज़ार कहाँ रखा है
....वाह वाह ...बहुत सुन्दर!!
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