सार - RJSURABHISAXENA

सार

मेरा चेहरा नहीं दिल पढ़ो तो कोई बात है
किताबी बातों में कोई सार कहाँ रखा है
कभी तो कोई गुलाबी शाम मेरे भी हिस्से होगी
सपनों में ही जी लूँ कुछ शब,  कुछ मंज़र मैं
हकीक़त की दुनिया में गुलो गुलज़ार कहाँ रखा है 

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RJ Surabhii Saxena. Powered by Blogger.