दामन निचोड़ने में... - RJSURABHISAXENA

दामन निचोड़ने में...

दामन निचोड़ने में कुछ वक़्त लग गया
मोती बटोरने में कुछ वक़्त लग गया

ऐसा तवील ना था, साहिल का फ़ासला
लहरो को मोड़ने में, कुछ वक़्त लग गया

तेरे मिलन की आस ओ तडप खूब थी मगर
घर अपना छोड़ने में, कुछ वक़्त लग गया

देखे ना कोई ग़ैर, कभी अक्स तुम्हारा 
आईना तोड़ने में, कुछ वक़्त लग गया 

हिमत जुटा रहा था, कहने को हाले दिल 
सो तुमको बोलने में, कुछ वक़्त लग गया 




वो कब से दे रहा था, दस्तक किवाड़ पे 
दर अपना खोलने में, कुछ वक़्त लग गया 

मैं तो बिखर चुका था, तेरे फिराक़ में 
बस ख़ुद को जोड़ने में, कुछ वक़्त लग गया 




छोटा सा तराज़ू हसन और बोझ बला का 
यादों को तोलने में, कुछ वक़्त लग गया

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