⏳"क्षण-जीवी"⌛ - RJSURABHISAXENA

⏳"क्षण-जीवी"⌛


*किसी का भी अनुयायी मत बनो!  किसी का भी अनुसरण मत करो!...*

⏳"क्षण-जीवी"⌛:-

लेकिन कुछ हद तक किसि तत्वदर्शि गुरु के प्रतिपादित स्वानुभव को विचार विवेकदृष्टिसे परखकर मान लेना होगा और उनका अनुयायी बनकर प्रत्यक्षाचरण करके तत्वचिंनात्मक स्वानुभव से गुजरना पडेगा। तब जाकर सत्यानुभूति फलित होगी।

प्रारंभिक तौरपर "हायपोथेसिस नाॅलेज" के लिए स्वानुभवी मार्गदर्शक गुरु अत्यावश्यक होते है!
*जीस ईश्वर ने सृष्टि कि निर्मिती कि, उसके पास सृष्टि निर्माण कैसे करनी है यह पुर्वज्ञान है। फिर निर्माण करते वक्त खुद द्रष्टा बनकर प्रत्यक्ष देखा। और फिर निर्माण होनेपर स्वयं अवतार धारण करके सृष्टि कैसे, और क्यो निर्माण कि? इसका अभिज्ञान जीवों के प्रति करवाया। तथा युग युग में अवतार धारण करके वहि पुर्नज्ञान एकमात्र ईश्वर हि करवाते रहते है!







इसके अलावा जीवोंको सृष्टिरचना के संबंधित रहस्योको जानने के लिए और कोई भी प्रत्यक्ष विधायक मार्ग नहि क्योकि जीव अज्ञान एवं अनादिअविद्यायुक्त होने से उनको स्वत: स्वयमेव ज्ञान कदापि प्राप्त नहि हो सकता। कि कहि उनके अंदर ज्ञान भरा पडा है और वह विस्मृत हो गए होने से कुछ ध्यानसाधना उपरांत वह ज्ञान उमड आए!... एैसा कदापि संभवनिय नहि होता।

*इसलिए दुसरा पर्यायी विधायक रास्ता स्वयं ईश्वरने हि नियोजित कर रखा है कि, जीस जीव को बोधदातृत्व किया एैसे बोधवंत ज्ञानी पुरुष के जरिए ब्रह्मविद्याशास्त्र के अक्षरों का दातृत्व कर उनके निमित्त से ईश्वर स्वयं अधिकारी जीवों को सृष्टि रचना संबंधित वास्तव सत्य ज्ञान संबोधित करने के लिए बोधशक्ति का संक्रमण करते है!

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