श्री राम चरित मानस के गुण
🌺तुलसीदास जी ने जब राम चरित मानस की रचना की, तब उनसे किसी ने पूछा आप ने इसका नाम रामायण क्यों नहीं रखा ?
🌺बाबा गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा, क्योंकि रामायण और राम चरित मानस में एक बहुत बड़ा अंतर है "रामायण" का अर्थ है राम का मंदिर, राम का घर । मंदिर के साथ कुछ बंधन हैं, उसका एक समय होता है, साफ़-सुथरा होकर, नहाकर कुछ फूल, फल साथ लेकर जाना होता है।
पर मानस अर्थात सरोवर में ऐसी कोई शर्त नहीं होती। व्यक्ति जब मैला होता है तभी सरोवर में स्नान करने जाता है। माँ की गोद में कभी भी कैसे भी बैठा जा सकता है। इसलिए जो शुद्ध हो चुके है वे रामायण में चले जाए और जो शुद्ध होना चाहते है वे राम चरित मानस में आ जाएं
जय सियाराम,
जय जय हनुमान
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