मन भाव
संगीत के साज़ पर, धड़कन की परी उतरी है
धुनों की लड़ में, शब्द मोती बन बिखरें हैं
मुखड़े में सजा प्यार तेरा, त्याग भरे ये अंतरे हैं
कविता कह लो या श्रद्धा कवि की, कुछ यूँ मन भाव उभरे हैं
धुनों की लड़ में, शब्द मोती बन बिखरें हैं
मुखड़े में सजा प्यार तेरा, त्याग भरे ये अंतरे हैं
कविता कह लो या श्रद्धा कवि की, कुछ यूँ मन भाव उभरे हैं
सुन्दर !!!
ReplyDeleteअथाह...
bbahut bahut shukriya meena ji
Deleteकविता कह लो
ReplyDeleteया
श्रद्धा कवि की,
कुछ यूँ मन भाव उभरे हैं ....
संगीत की स्वर लहरी को खूबसूरत अलफ़ाज़ का
लिबास दे कर बहुत ही अच्छी रचना प्रस्तुत की है
अभिवादन .
dhanawad ji
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