मन भाव - RJSURABHISAXENA

मन भाव

संगीत के साज़ पर, धड़कन की परी उतरी है



धुनों की लड़ में, शब्द मोती बन बिखरें हैं


मुखड़े में सजा प्यार तेरा, त्याग भरे ये अंतरे हैं


कविता कह लो या श्रद्धा कवि की, कुछ यूँ मन भाव उभरे हैं

4 comments:

  1. कविता कह लो
    या
    श्रद्धा कवि की,
    कुछ यूँ मन भाव उभरे हैं ....

    संगीत की स्वर लहरी को खूबसूरत अलफ़ाज़ का
    लिबास दे कर बहुत ही अच्छी रचना प्रस्तुत की है
    अभिवादन .

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