संदल बना ले
कोई हमको देखे, कोई हमको चाहे, कोई हमको छू के संदल बना ले
इस मेरी आरज़ू को कोई गले से लगा ले,
सितम तो ज़माने का हमें भी देखा, एक तुम्हीं तो नहीं
हो घायल जहाँ के
दो बोल मीठे कोई हमसे बोले, कोई हमको शीतल सा मलहम
लगा दे
कहाँ से कहाँ तक सफ़र
पर रहे हम, कोई मोड़ ऐसा नहीं फिर से आया
कोई हाथ थामे,
कोई दे तसल्ली,
कोई हमको अपनी नज़र में बसा ले
ज़िन्दगी
से बड़ी नहीं है तेरी बेवफाई , तुम्हें याद रखें या तुम्हें भूल जाएँ,
इसी
कशमकश में रहते है दिलबर
कोई
आके तोड़े सारे ये बंधन, कोई फिर से मुझको मेरी जुस्तजू से मिला दे
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