मैं सुरभि हूँ - RJSURABHISAXENA

मैं सुरभि हूँ



सुरभित हूँ मैं सुरभि हूँ विश्व धरा में फैली हूँ 
चन्द्र किरणें ज्यूँ धरा पर
मैं पुष्प पुष्प में महकी हूँ, कलियों संग भँवरें राधा संग घनश्याम
व्यापक आकाश की मैं सहेली हूँ
एक सूरज उग रहा,मेरी भी ज़िन्दगी में..
कुछ बादलों से छिपकर,एक ओट में सिमटकर..
एक नन्ही किरण,छम से मुझ पर भी पड़े जो..

आशा यही है मेरी,रौशन सवेरा होगा मेरी भी ज़िन्दगी में

No comments

RJ Surabhii Saxena. Powered by Blogger.