मैं सुरभि हूँ
सुरभित हूँ मैं सुरभि हूँ विश्व धरा में फैली हूँ
चन्द्र किरणें ज्यूँ धरा पर
चन्द्र किरणें ज्यूँ धरा पर
मैं पुष्प पुष्प में महकी हूँ, कलियों संग भँवरें
राधा संग घनश्याम
व्यापक आकाश की मैं सहेली हूँ
एक सूरज उग रहा,मेरी भी ज़िन्दगी में..
कुछ बादलों से छिपकर,एक ओट में सिमटकर..
एक नन्ही किरण,छम से मुझ पर भी आ पड़े जो..
आशा यही है मेरी,रौशन सवेरा होगा मेरी भी ज़िन्दगी में
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