शैलेंद्र - जनकवि
शैलेंद्र और साहिर समकालीन गीतकार थे और दोनों में एक समानता थी कि दोनों प्रगतिशील, लेखक संघ से जुड़े थे । एक अलग बात जो दोनों को जुदा करती थी
साहिर के गीतों नज़्मों के अनुसार संगीतकार धुन बनाते थे और शैलेंद्र धुन पर गीत लिखने में माहिर थे ।
साहिर के गीतों नज़्मों के अनुसार संगीतकार धुन बनाते थे और शैलेंद्र धुन पर गीत लिखने में माहिर थे ।
किसी की मुस्कुराहटों पर हो निसार गीत एक सार्थक, कर्णप्रिय और भारतीय मूल्यों का मिश्रित गीत है
एक बहुत ही रोचक बात जिसका जिक्र किया अभिनेता व निर्देशक विजय आनंद ने की -
"हसरत जयपुरी द्ववारा रचित गाइड के दो गानो की रिकॉर्डिंग हो चुकी थी लेकिन ये गीत फ़िल्म की कहानी को अभिव्यक्त नहीं कर पा रहे थे । तब शैलेंद्र जी को अनुबंधित किया गया और जब उन्हें सिचुशन बतायी गयी की ये कहानी है एक ऐसी नारी की जो अपने पति की ज्यादती से परेशां हैं और छुटकारा पाने के लिए तड़प रही है इस पृष्टभूमि के लिये गीत लिखिए तब उन्होंने दो मिनट से कम समय में एक बेहतरीन मुखड़ा लिखा ...
काँटों से खींच के ये आँचल , तोड़ के बंधन बँधी पायल, आज फिर जीने की तमन्ना है -
ये गीत नारी मन के हर्ष विषाद के रंगों की अप्रितम अभिव्यक्ति है ।।
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