हिरणी सी मचल जाऊं .....
घटा बनकर चले आओ, मेरा दिल भी मचलता हैं
सावन सी बरस जाऊं जो बाँहों में भर लो तुम
नशा तुझपे मोहब्बत का, बहकता है, संभलता है
शराबों सी मचल जाऊँ, जो बाँहों में भर लो तुम
अदा तेरी मुझे भाती, मेरा मन तुझसे बहलता है
तेरे होंठों पे मुस्काऊँ, जो बाँहों में भर लो तुम .....
हिरणी सी मचल जाऊं जो बाँहों में भर लो तुम
चन्दन सी महक जाऊँ, जो भौं में भर लो तुम ....
#सुरभि
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