मुझे अम्बर में जाने दो ....
उसे दिल तक तो आने दो
बड़ी लंबी थी, ग़म की रात,
मुझे अब मुस्कुराने दो
कोई तो ताकता होगा,
तेरी भी राह, ऐ सुरभि
करो न क़ैद पिंजरे में,
मुझे अम्बर में जाने दो ....
अंधेरों ने उजालों से,
कोई वादा किया है क्या
कहीं मासूम मौसम को,
कोई दहला गया है क्या
ग़मों की रात आई थी,
अंधेरों की शकल में यूँ
बड़ा अब चैन हैं यारों,
कोई सहला गया है क्या ....
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