जला दो ये, जंग की नफ़रत मिटा दो ये ख़ूनी सी फ़ितरत प्रेम का, शांति का विस्तार दो गुड से मीठा, ऐसा व्यवहार दो चलो मिल कर मनाये पर्व सारे लोहड़ी, संक्रांति, पोंगल ... प्यारे .......
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