तेरी आँखों का काजल...
तेरी आँखों का ये काजल, मेरी नींदे उडाता है
मुस्कुराकर मेरा दिल लूट जाना खूब आता है
तुम्हारी तो अदा ठहरी, जान मेरी गयी तौबा
हाँ तुम्हारी तो अदा ठहरी, जान मेरी गयी तौबा
लच्छे देकर, बातों में फ़साना खूब आता है
मेरे दिल से खेलना अब बंद भी कर दो हाँ
दर्द सीने का गले लगकर कम ही कर दो
जान मेरी निकलती है उसे क्या फ़र्क है हाय
हाय जान मेरी निकलती है उसे क्या फ़र्क है
जिधर देखो उधर ही, वो चेहरा मुसकराता है ....
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