सौंधी मिट्टी

हाथों की रोटी और चटनी तुझे बुलाती हैं
तेरे गाँवों की सौंधी मिट्टी तुझे बुलाती है..
तुझे मिलेंगे संगी साथी, पूरे होंगे ख़्वाब भी तेरे
नहीं मिलेंगी दोबारा, माँ की वो बतिया तुझे बुलाती हैं
क्या याद नहीं आता वो बचपन, वो गालियां वो खेल खिलौने
सावन के झूलों संग, बहना की राखी तुझे बुलाती है
रंग बिरंगी तितली के पर, सूखे फूलों की वो यादें
रेल की पातें, मन की वो घातें अब भी तुझे बुलाती हैं
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