काश
हर गीत मेरा तेरे कारण
हर दर्द मेरा तुझ से ही शुरू
हर ख़्वाब मेरे में तुम शामिल
हर बार तुम्हें चुनता है मन
कितने ज़ख्म भी तुम दे दो
हर बार भुला देगा वो तपन
बस याद रहेगी तेरी वो छुअन
जो शीतल बूंदों की तरह मेरे
ज़ख्मों की पीर हरे ...
एक बार कभी ऐसा भी हो
मैं गीत लिखूं तुम साज़ बनो
मैं परवाज़ की भांति पर पा लूं
तुम मेरे गीतों की आवाज़ बनो
काश कभी ऐसा भी हो ....
मैं तेरे गले का हार बनूँ
तुम मेरे माथे पर सजकर
मेरी तकदीर का ताज बनो
काश काश काश .......................................
सुरभि
हर दर्द मेरा तुझ से ही शुरू
हर ख़्वाब मेरे में तुम शामिल
हर बार तुम्हें चुनता है मन
कितने ज़ख्म भी तुम दे दो
हर बार भुला देगा वो तपन
बस याद रहेगी तेरी वो छुअन
जो शीतल बूंदों की तरह मेरे
ज़ख्मों की पीर हरे ...
एक बार कभी ऐसा भी हो
मैं गीत लिखूं तुम साज़ बनो
मैं परवाज़ की भांति पर पा लूं
तुम मेरे गीतों की आवाज़ बनो
काश कभी ऐसा भी हो ....
मैं तेरे गले का हार बनूँ
तुम मेरे माथे पर सजकर
मेरी तकदीर का ताज बनो
काश काश काश .......................................
सुरभि
मैं गीत लिखूं तुम साज़ बनो
ReplyDeleteमैं परवाज़ की भांति पर पा लूं
तुम मेरे गीतों की आवाज़ बनो
काश कभी ऐसा भी हो ....
मैं तेरे गले का हार बनूँ
तुम मेरे माथे पर सजकर
मेरी तकदीर का ताज बनो
काश काश काश .......................................
bahut khoob surabhi jee... prem ki paraakaashthaa...
man prasanna ho gayaa...
rahul