काश - RJSURABHISAXENA

काश

हर गीत मेरा तेरे कारण
हर दर्द मेरा तुझ से ही शुरू
हर ख़्वाब मेरे में तुम शामिल
हर बार तुम्हें चुनता है मन
कितने ज़ख्म भी तुम दे दो
हर बार भुला देगा वो तपन
बस याद रहेगी तेरी वो छुअन
जो शीतल बूंदों की तरह मेरे
ज़ख्मों की पीर हरे ...
एक बार कभी ऐसा भी हो
मैं गीत लिखूं तुम साज़ बनो
मैं परवाज़ की भांति पर पा लूं
तुम मेरे गीतों की आवाज़ बनो
काश कभी ऐसा भी हो ....
मैं तेरे गले का हार बनूँ
तुम मेरे माथे पर सजकर
मेरी तकदीर का ताज बनो
काश काश काश .......................................

सुरभि

1 comment:

  1. मैं गीत लिखूं तुम साज़ बनो
    मैं परवाज़ की भांति पर पा लूं
    तुम मेरे गीतों की आवाज़ बनो
    काश कभी ऐसा भी हो ....
    मैं तेरे गले का हार बनूँ
    तुम मेरे माथे पर सजकर
    मेरी तकदीर का ताज बनो
    काश काश काश .......................................

    bahut khoob surabhi jee... prem ki paraakaashthaa...

    man prasanna ho gayaa...

    rahul

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