बंधन - RJSURABHISAXENA

बंधन

कुछ ऐसे मुक्त किया तुमने
हम वो बंधन न तोड़ सके
हर बार तुम्हें सोचा हमने
हम वो मंथन न रोक सके
हर बार तुम्हारी यादों ने मेरे मन को आ घेरा है
कभी बात तुम्हारी करते है,
कभी नैनों को नम करते हैं
कभी खुशियाँ भी पाते है,
कभी हम रो भी जाते है ,
अब तेरी यादों में जीते है
हम दर्द का वो मंज़र न छोड़ सके ....

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