मुक्ति
मैंने जब कोई युक्ति सोची
हर बार ख़ुद से मुक्ति सोची
हर क़दम पर एक अवरोध मिला
कहीं तुम्हारे प्यार का दर्द मिला तो कहीं प्यार का ज़ोर मिला
तो कहीं जीने के लिए एक नया आकाश पुरज़ोर मिला
तो कहीं मन को मोहने वाला तेरे जैसा चितचोर मिला
मिला जब भी चाहे प्यार हो या फिर दर्द ही सही
जो भी मिला घनघोर मिला .............घनघोर मिला
हर बार ख़ुद से मुक्ति सोची
हर क़दम पर एक अवरोध मिला
कहीं तुम्हारे प्यार का दर्द मिला तो कहीं प्यार का ज़ोर मिला
तो कहीं जीने के लिए एक नया आकाश पुरज़ोर मिला
तो कहीं मन को मोहने वाला तेरे जैसा चितचोर मिला
मिला जब भी चाहे प्यार हो या फिर दर्द ही सही
जो भी मिला घनघोर मिला .............घनघोर मिला
kaho do mujhse dil ki har baat ,is baat me chhupi hui saari baat .bahut sundar .
ReplyDeleteजो भी घनघोर मिले
ReplyDeleteवही है युक्ति,
और मुक्ति भी यही...