कसर - RJSURABHISAXENA

कसर

बहुत से दुःख मेरे दिल को छलते जाते है
बुझे मन से अंगारों पर हम चलते जाते हैं

कभी कही किसी मोड़ पर तुमने मेरे बारे में है सोचा
बस यही ख्याल ख़ुद में हम बुनते जाते है

कभी नहीं था कोई एक तेरे सिवा मेरा अपना कोई
बस यही जज़्बात मन में लिए हम, तुमसे कुछ कह नहीं पाते है

अब तो कसर भी नहीं रखी आपने कि कुछ गिला शिकवा कर लें
चले जा रहे है राह में, अकेले शूल सहते जाते है

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