काव्य - RJSURABHISAXENA

काव्य

मेरे जीवन के गीतों में जो तुम आकर बस जाते
मामूली से गीत वो ही क्या काव्य नही कहलाते, उन गीतों को जो तुम गा लो
तो मेरा जीवन सार्थक हो जाये गीतों के बोलो मैं घुल कर.........
बासुरी कि तानो को सुन कर मैं तेरी मीरा हो जाऊँ .............
थाम जो लेते तुम जो मेरे जीवन दुःख को ....
तो क्या वो दुःख फिर मेरे घनश्याम नही बन जाते......
सुरभि

1 comment:

  1. Ye saurabh kaun hai? Aur aap kisi aur ke wajas se apne man ko kyu dukhi kar rahe. Awomenforme@yahoo.com

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