- RJSURABHISAXENA


हर बार हमारी आखों में वो मुस्कान उभरती है
जिस में शोखी भी शामिल है जो कातिल भी लगती है...
क्या बात कहे हम इन आँखों पर ये खुद ही सब कुछ कहती है

कभी हमे पलकों में बसा ले कभी जुदा सी लगती है...
ये वो कातिल आखं है जो मुस्कानों से मिली हुई है...
हाथो में तलवार नहीं,दिल पर ये घाव जोर का करती है....

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