हर बार हमारी आखों में वो मुस्कान उभरती है
जिस में शोखी भी शामिल है जो कातिल भी लगती है...
क्या बात कहे हम इन आँखों पर ये खुद ही सब कुछ कहती है
कभी हमे पलकों में बसा ले कभी जुदा सी लगती है...
ये वो कातिल आखं है जो मुस्कानों से मिली हुई है...
क्या बात कहे हम इन आँखों पर ये खुद ही सब कुछ कहती है
कभी हमे पलकों में बसा ले कभी जुदा सी लगती है...
ये वो कातिल आखं है जो मुस्कानों से मिली हुई है...
हाथो में तलवार नहीं,दिल पर ये घाव जोर का करती है....
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