राग में नहीं अनुराग में - मीरा बाई
*मीराबाई* कृष्णप्रेम में डूबी पद गा रही थी ।
एक *संगीतज्ञ* को लगा
कि वह सही राग में नहीं गा रही है ।
वह टोकते हुये बोला, "मीरा, तुम राग में नही गा रही हो ।"
मीरा ने बहुत सुन्दर उत्तर दिया,
"मैं राग में नहीं, अनुराग में गा रही हूं ।
कि वह सही राग में नहीं गा रही है ।
वह टोकते हुये बोला, "मीरा, तुम राग में नही गा रही हो ।"
मीरा ने बहुत सुन्दर उत्तर दिया,
"मैं राग में नहीं, अनुराग में गा रही हूं ।
राग में गाउंगी तो दुनियां मेरे को सुनेगी ,
अनुराग में गाउंगी तो मेरा *कान्हा* मेरे को सुनेगा ।
मैं दुनियां को नही , अपने *श्याम* को रिझाने के लिये गाती हूं ।"
*रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,*
*रिश्ता निभाने से रिश्ता बनता है ।*
*रिश्ता निभाने से रिश्ता बनता है ।*
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