राग में नहीं अनुराग में - मीरा बाई - RJSURABHISAXENA

राग में नहीं अनुराग में - मीरा बाई


*मीराबाई* कृष्णप्रेम में डूबी पद गा रही थी ।

एक *संगीतज्ञ* को लगा
               कि वह सही राग में नहीं गा रही है ।
वह टोकते हुये बोला, "मीरा, तुम राग में नही गा रही हो ।"
मीरा ने बहुत सुन्दर उत्तर दिया,

"मैं राग में नहीं, अनुराग में गा रही हूं ।                     

राग में गाउंगी तो दुनियां मेरे को सुनेगी ,                                    
अनुराग में गाउंगी तो मेरा *कान्हा* मेरे को सुनेगा ।                                             

मैं दुनियां को नही , अपने *श्याम* को रिझाने के लिये गाती  हूं ।"


*रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,*
*रिश्ता निभाने से रिश्ता बनता है ।*

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