*चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :* - RJSURABHISAXENA

*चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :*


*"भारतीय नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2074 (28 मार्च, 2017)" की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ।*
*चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :*

*1.* इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।
*2.* सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।
*3.* प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है। 


*4.* शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है।
*5.* सिख परंपरा के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी के जन्म दिवस का यही दिन है। 
*6.* स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन को आर्य समाज की स्थापना दिवस के रूप में चुना।
*7.* सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।




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*8.* विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।
*9.* युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।








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*भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व :*

*1.* वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।

*2.* फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।

*3.* नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।





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