27 चमत्कार वस्तुएँ और रहस्य - RJSURABHISAXENA

27 चमत्कार वस्तुएँ और रहस्य

इन 27 चमत्कारिक वस्तुओं का रहस्य जानिए
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1:- मोर पंख : मोर पंख को अत्यंत ही शुभ और चमत्कारिक माना जाता है। यह जिसके भी घर में रखा होता है उसके घर में कभी भूत-प्रेत की बाधा तो नहीं रहेगी ही, साथ ही किसी भी प्रकार के कीड़े-मकोड़े और छिपकली के आने का रास्ता भी बंद हो जाता है।

मोर पंख को भाग्यवर्धक माना जाता है। यह भाग्य के मार्ग की सारी रुकावटें भी दूर कर देता है। लेकिन ध्यान रखें घर में मोरपंख का गुच्छा नहीं, मात्र 1 से 3 ही मोर पंख रखना चाहिए।

2:- धातु का कछुआ : कुछ लोग मिट्टी और कुछ लकड़ी का छोटा-सा कछुआ लाकर घर में कहीं भी रख देते हैं, लेकिन यह सही नहीं है।

अच्‍छी धातु का कछुआ बनवाएं। धातु चांदी, पीतल या कांसे की हो सकती है। हालांकि मिश्रित धातु का भी बना सकते हैं। उन्नति के लिए कछुए को उत्तर दिशा में रखना चाहिए।

3:- चमत्कारिक आत्मरत्न : किंवदंतियों के अनुसार ‘आत्मरत्न’ एक ऐसा चमत्कारिक पत्थर या रत्न है जिसके पास रहने से कोई दिव्य आत्मा हमेशा उसकी रक्षा करती रहती है। इस रत्न को सोने या चांदी की अंगूठी में जड़वाकर पहनना चाहिए या इस घर में कहीं सुरक्षित स्थान पर रखना चाहिए।

इस रत्न को गौर से देखने पर इसकी लकीरें हिलती-डुलती दिखाई देंगी। यह काले भूरे रंग का चमकीला पत्थर होता है, जो शालिग्राम जैसा दिखाई देता है। इसके पास होने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होने लगती हैं।

4:- शुभ जोड़ा : घर में मोर, गाय, हंस, बत्तख, हिरण जैसे अच्छे अहिंसक पशुओं के चित्र या मूर्ति रखने का भी चमत्कारिक लाभ मिलता है। इससे जहां दांपत्य जीवन सुखमय बनता है, वहीं यह भाग्य को जगाने वाला भी रहता है।

कुछ वास्तुशास्त्री मानते हैं कि इन चित्रों या मूर्ति का मुंह एक-दूसरे की तरफ होना चाहिए। वास्तुशास्त्र में हंस या हिरण के जोड़ों को रखने के और भी लाभ बताए गए हैं।

5:- अंडाकार सफेद पत्थर : अंडाकार सफेद पत्थर घर में होना चाहिए। यह पत्थर संगमरमर या किसी ठोस सफेद पत्थर का  भी हो सकता है। इसे कुछ लोग अपनी जेब में भी रखते हैं।

इस तरह के पत्‍थर को रखने का चमत्कारिक लाभ मिलता है। धन और समृद्धि के रास्ते फटाफट खुलते हैं और मानसिक शांति भी बनी रहती है। कहते हैं कि घर में स्फटिक के शिवलिंग की पूजा करना भी समृद्धि की दृष्टि से श्रेष्ठ है।

6:- पिरामिड : कई तरह के पिरामिड खरीदकर लाइए जिसका अलग अलग तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार पिरामिड की आकृति उत्तर-दक्षिण अक्ष पर रहने की वजह से यह ब्रह्मांड में व्याप्त ज्ञात व अज्ञात शक्तियों को स्वयं में समाहित कर अपने अंदर एक ऊर्जायुक्त वातावरण तैयार करने में सक्षम है, जो जीवित या मृत, जड़ व चेतन सभी तरह की चीजों को प्रभावित करता है।

घरेलू पिरामिडों का शुभारंभ फ्रांसीसी वैज्ञानिक मॉसियर बॉक्सि के प्रयोग के साथ हुआ। माना जाता है कि किसी भी प्रकार के पिरामिड में रखी वस्तुओं के गुण धर्म में बदलाव आ जाता है अर्थात यदि किसी प्रकार के छोटे, बड़े, लकड़ी या मात्र कागज के पिरामिड में कोई खाद्य सामग्री रखी जाए तो उसके गुणों में बदलाव आ जाएगा और वह बहुत देर तक सड़ने से बची रहेगी। इसी कारण प्राचीन लोग अपने परिजनों के शवों को पिरामिड में रखते थे।

7:- तोते का चित्र या मूर्ति : वास्तुशास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा में तोते की तस्वीर को लगाने से पढ़ाई में बच्चों की रुचि बढ़ती है, साथ ही उनकी स्मरण क्षमता में भी इजाफा होता है। यह बात तो सभी जानते हैं लेकिन हम यहां दूसरी बात बताना चाहते हैं।

* तोता प्रेम, वफादारी, लंबी आयु और सौभाग्य का प्रतीक होता है। बहुत से लोग तोता पाल लेते हैं, लेकिन तोता पालना बहुत ही गलत है। इससे आप बर्बाद हो सकते हैं।

* तोता सौभाग्य की वृद्धि करता है। अगर आप घर में बीमारी, निराशा, दरिद्रता और सुखों का अभाव महसूस कर रहे हैं तो तोता घर में स्थापित करें।
* पति और पत्नी में प्रेम संबंध स्थापित करने के लिए भी फेंगशुई के अनुसार तोते के जोड़े को स्थापित किया जाता है।
* फेंगशुई के अनुसार तोता 5 तत्वों का संतुलन स्थापित करने में मददगार साबित होता है। तोते के रंग-बिरंगे पंख वास्तव में पृथ्वी, अग्नि, जल, लकड़ी और धातु के प्रतीक हैं। अगर घर में इनमें से किसी भी तत्व की कमी है, तो वह इससे दूर हो जाती है।

8:- लाजावर्त मणि : इस मणि का रंग मयूर की गर्दन की भांति नील-श्याम वर्ण के स्वर्णिम छींटों से युक्त होता है। यह मणि भी प्राय: कम ही पाई जाती है।

लाजावर्त मणि को धारण करने से बल, बुद्धि एवं यश की वृद्धि होती ही है। माना जाता है कि इसे विधिवत रूप से मंगलवार के दिन धारण करने से भूत, प्रेत, पिशाच, दैत्य, सर्प आदि का भी भय नहीं रहता।

9:- अष्टगंध : अष्टगंध को 8 तरह की जड़ी या सुगंध से मिलाकर बनाया जाता है। अष्टगंध 2 प्रकार का होता है- पहला वैष्णव और दूसरा शैव। यह प्रकार इसके मिश्रण के अनुसार है।

10:- शैव अष्टगंध :

कुंकुमागुरुकस्तूरी चंद्रभागै: समीकृतै।
त्रिपुरप्रीतिदो गंधस्तथा चाण्डाश्व शम्भुना।। -कालिका पुराण
कुंकु, अगुरु, कस्तूरी, चंद्रभाग, गोरोचन, तमाल और जल को समान रूप में मिलाकर बनाया जाता है।

11:- -वैष्णव अष्टगंध :
चंदनागुरुह्रीबेकरकुष्ठकुंकुसेव्यका:।
जटामांसीमुरमिति विषणोर्गन्धाष्टकं बिन्दु।। -कालिका पुराण
चंदन, अगुरु, ह्रीवेर, कुष्ट, कुंकुम, सेव्यका, जटामांसी और मुर को मिलाकर बनाया जाता है।
जो भी हो अष्टगंध की सुगंध अत्यंत ही प्रिय होती है। इसका घर में इस्तेमाल होते रहने से चमत्कारिक रूप से मानसिक शांति मिलती है और घर का वास्तुदोष भी दूर हो जाता है। इसके इस्तेमाल से ग्रहों के दुष्प्रभाव भी दूर हो जाते हैं।

12:- चमत्कारिक सुरमा : सुरमा दो तरह का होता है। एक सफेद सुरमा और दूसरा काला सुरमा। काले सुरमे का काजल बनता है। सुरमा लगाने का प्रचलन मध्य एशिया में भी रहा है और भारत में भी। दोनों ही तरह के सुरमा मूल रूप से पत्थर के रूप में पाए जाते हैं। इसका रत्न भी बनता है और इसी से काजल भी बनता है। इस्लाम में तो सुरमा लगाना सुन्नत माना जाता है।

सुरमा लगाने से जहां आंखों के सभी रोग दूर हो जाते हैं, वहीं इसका इस्तेमाल कुछ लोग वशीकरण में भी करते हैं। इसका रत्न धारण करने के भी कई चमत्कारिक लाभ हैं। सुरमा लगाने से जहां व्यक्ति किसी की नजर से बच जाता है वहीं उसकी आंखें भी तंदुरुस्त रहती हैं। यह एक चमत्कारिक पत्थर होता है।

13:- चमत्कारिक शालिग्राम : बहुत से लोग घर में छोटी-सी शिवलिंग जलाधारी रखते हैं। शिवलिंग की तरह शालिग्राम के भी कई चमत्कारिक लाभ हैं। शालिग्राम को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है।

अधिकतर शालिग्राम नेपाल के मुक्तिनाथ, काली गंडकी नदी के तट पर पाया जाता है। काले और भूरे शालिग्राम के अलावा सफेद, नीले और ज्योतियुक्त शालिग्राम का पाया जाना तो और भी दुर्लभ है। पूर्ण शालिग्राम में भगवान विष्णु के चक्र की आकृति अंकित होती है। 33 प्रकार के शालिग्राम होते हैं जिनमें से 24 प्रकार को विष्णु के 24 अवतारों से संबंधित माना गया है। माना जाता है कि ये सभी 24 शालिग्राम वर्ष की 24 एकादशी व्रत से संबंधित हैं।
जिस घर में शालिग्राम का पूजन होता है उस घर में लक्ष्मी का सदैव वास रहता है। शालिग्राम पूजन करने से अगले-पिछले सभी जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।

14:- धातु का कड़ा : हाथ में कड़ा पहनने के नियम उसी तरह हैं जिस तरह की यज्ञोपवीत पहनने के नियम हैं। बहुत से लोग कड़ा पहनने के बाद किसी भी प्रकार का नशा करते हैं या अन्य कोई अनैतिक कार्य करते हैं तो उसे इसकी सजा जरूर मिलती है इसलिए कड़ा सोच-समझकर पहनें।

अब सवाल उठता है कि कड़ा कौन-सा पहने? पीतल, तांबा या चांदी का कड़ा पहनें। कुछ लोग पीतल और तांबे का मिश्रित कड़ा पहनते हैं। पीतल से गुरु, तांबे से मंगल और चांदी से चंद्र बलवान होता है।

15:- कड़े का मूल चमत्कार : कड़ा हनुमानजी का प्रतीक है। पीतल और तांबा मिश्रित धातु का कड़ा पहनने से सभी तरह के भूत-प्रेत आदि नकारात्मक शक्तियों से व्यक्ति की रक्षा होती है।
इसके अलावा हाथ में कड़ा धारण करने से कई तरह की बीमारियों से भी रक्षा होती है। जो व्यक्ति बार-बार बीमार होता है उसे सीधे हाथ में अष्टधातु का कड़ा पहनना चाहिए। मंगलवार को अष्टधातु का कड़ा बनवाएं। इसके बाद शनिवार को वह कड़ा लेकर आएं। शनिवार को ही किसी भी हनुमान मंदिर में जाकर कड़े को बजरंग बली के चरणों में रख दें। अब हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके बाद कड़े में हनुमानजी का थोड़ा सिंदूर लगाकर बीमार व्यक्ति स्वयं सीधे हाथ में पहन लें।
ध्यान रहे, यह कड़ा हनुमानजी का आशीर्वाद स्वरूप है अत: अपनी पवित्रता पूरी तरह बनाए रखें। कोई भी अपवित्र कार्य कड़ा पहनकर न करें अन्यथा कड़ा प्रभावहीन तो हो ही जाएगा, साथ ही इसकी आपको सजा भी मिलेगी।

16:- कर्पूर : कर्पूर या कपूर मोम की तरह उड़नशील दिव्य वानस्पतिक द्रव्य है। इसे अक्सर आरती के बाद या आरती करते वक्त जलाया जाता है जिससे वातावरण में सुगंध फैल जाती है। कपूर को संस्कृत में कर्पूर, फारसी में काफूर और अंग्रेजी में कैंफर कहते हैं।
कर्पूर जलाने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। शास्त्रों के अनुसार देवी-देवताओं के समक्ष कर्पूर जलाने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। जिस घर में नियमित रूप से कर्पूर जलाया जाता है, वहां पितृदोष या किसी भी प्रकार के ग्रह दोषों का असर नहीं होता है। कर्पूर जलाते रहने से घर का वास्तुदोष भी शांत रहता है
कर्पूर के फायदे :

‍पितृदोष निदान : कर्पूर अति सुगंधित पदार्थ होता है। इसके दहन से वातावरण सुगंधित हो जाता है। कर्पूर जलाने से देवदोष व पितृदोष का शमन होता है।
अनिद्रा : रात में सोते वक्त कर्पूर जलाने से नींद अच्छी आती है। प्रतिदिन सुबह और शाम कर्पूर जलाते रहने से घर में किसी भी प्रकार की आकस्मिक घटना और दुर्घटना नहीं होती।
जीवाणुनाशक : वैज्ञानिक शोधों से यह भी ज्ञात हुआ है कि इसकी सुगंध से जीवाणु, विषाणु आदि बीमारी फैलाने वाले जीव नष्ट हो जाते हैं जिससे वातावरण शुद्ध हो जाता है तथा बीमारी होने का भय भी नहीं रहता।
औषधि के रूप में उपयोग :
* कर्पूर का तेल त्वचा में रक्त संचार को सहज बनाता है।
* गर्दन में दर्द होने पर कर्पूरयुक्त बाम लगाने पर आराम मिलता है।
* सूजन, मुहांसे और तैलीय त्वचा के उपचार में इसका उपयोग किया जाता है।
* आर्थराइटिस के दर्द से राहत पाने के लिए कर्पूर मिश्रित मलहम का प्रयोग करें।
* पानी में कर्पूर के तेल की कुछ बूंदों को डालकर नहाएं, यह आपको तरोताजा रखेगा।
* कफ की वजह से छाती में होने वाली जकड़न में कर्पूर का तेल मलने से राहत मिलती है।
* कर्पूरयुक्त मलहम की मालिश से मोच और मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द में राहत मिलती है।
नोट : गर्भावस्था या अस्थमा के मरीजों को कर्पूर तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

17:-कमलगट्टे की माला : चंदन, तुलसी और कमलगट्टे तीनों में कमलगट्टे की माला घर में अवश्य रखना चाहिए। अर्थ बिना सब व्यर्थ है। माना जाता है कि कमलगट्टे की माला से धन प्राप्ति के मार्ग भी खुल जाते हैं। दरअसल, कमलगट्टे लक्ष्मीजी को प्रिय हैं।

तुलसी के बीज से या कमल के बीज से बनी माला से जप किया जाता है। इसे पूजाघर में रखना चाहिए और जब भी आप इस माला को फेरते हुए अपने इष्टदेव का 108 बार नाम लेंगे तो इससे घर और मन में सकारात्मक वातावरण और भावों का संचार होगा।

18:- मोती शंख : वैसे शंख तो सभी के घर में होगा लेकिन दक्षिणावर्ती शंख और मोती शंख का अलग ही महत्व है। मोदी शंख थोड़ा चमकीला होता है। इस शंख को विधि-विधान से पूजन कर यदि तिजोरी में रखा जाए तो घर, कार्यस्थल, व्यापार स्थल और भंडार में पैसा टिकने लगता है। आमदनी बढऩे लगती है।

19:- गोमती चक्र : यह एक पत्थर होता है, जो दिखने में साधारण लगता है लेकिन होता चमत्कारिक है। इस पत्थर का नाम है गोमती चक्र। गोमती नदी में मिलने के कारण इसे गोमती चक्र कहते हैं। गोमती चक्र के घर में होने से व्यक्ति के ऊपर किसी भी प्रकार की शत्रु बाधा नहीं रहती।

इस चक्र के कई प्रयोग बताए गए हैं। इसको लाल सिंदूर की डिब्बी में रखना चाहिए। 11 गोमती चक्र लेकर उसे पीले वस्त्रों में लपेटकर तिजोरी में रखने से बरकत बनी रहती है।

20:- लघु नारियल : लाल कपड़े में उन लघु नारियलों को लपेटकर तिजोरी में रख दें व दीपावली के दूसरे दिन किसी नदी या तालाब में विसर्जित करने से लक्ष्मी लंबे समय तक आपके घर में निवास करती है।

विसर्जित करने के बाद दूसरा लघु नारियल तिजोरी में रख सकते हैं। हालांकि लघु नारियल के और भी कई प्रयोग हैं। इसके घर में रखे होने से धन और समृद्धि बरकरार रहती है।

इसके अलावा एकाक्षी नारियल को भी साक्षात लक्ष्मी का रूप माना जाता है इसीलिए सर्वप्रथम इसे घर में रखने से धनलाभ होता है, साथ ही कई प्रकार की समस्याएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं।

21:- हकीक : हालांकि इस चमत्कारिक पत्थर को रखने से पहले किसी जानकार से पूछना जरूरी है। माना जाता है कि हकीक को धारण करने से सभी तरह की बाधाएं दूर हो जाती हैं। कहते हैं कि जिसके पास असली हकीक होता है, वह कभी गरीब नहीं रहता।

हकीक लाल, पीले, सफेद, काले आदि कई रंगों में पाया जाता है। सभी का महत्व अलग-अलग है। जिस हकीक में सफेद पट्टियां पाई जाती हैं उसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। माना जाता है कि हकीक को घर में या पास में रखने से सौभाग्य की वृद्धि होती है और दरिद्रता का नाश हो जाता है। इससे किसी भी प्रकार का संकट भी नहीं रहता।

22:- ठोस चांदी का हाथी : हालांकि इसकी जानकारी हम पहले भी दे चुके हैं। इसको घर में रखने का भी चमत्कारिक प्रभाव होता है। ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु का बुरा प्रभाव नहीं रहता, साथ ही व्यक्ति के व्यापार और नौकरी में उन्नति होती रहती है।

हाथी रखने से घर में शांति और सुख-समृद्धि बनी रहती है। बहुत से लोग गणेशजी की मूर्ति रखते हैं तो उसका भी यही लाभ मिलता है, लेकिन मूर्ति ठोस चांदी की होना चाहिए।
लकड़ी का प्राकृतिक फूल (Natural wooden flowers) : यह फूल प्राय: दक्षिण भारत में पाया जाता है। इसे आप थोड़ी देर पानी में रखेंगे तो यह पूरी तरह से खिल जाएगा। फिर आप इसे किसी गुलदस्ते में रख सकते हैं।

जैसे-जैसे यह सूखेगा, वैसे-वैसे यह अपनी पंखुड़ियों को भी बंद करते जाएगा। यह एक चमत्कारिक फूल है। यह वर्षों तक ऐसा ही चलता रहता है। इसे पानी में रखें तो ‍यह फिर खिल उठेगा। इसकी पंखुड़ियां किसी लकड़ी जैसी लगती हैं। इसके घर में रहने से सकारात्मक ऊर्जा रहती है।

23:- लक्ष्मी का प्रतीक कौड़ियां : पीली कौड़ी को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। कुछ सफेद कौड़ियों को केसर या हल्दी के घोल में भिगोकर उसे लाल कपड़े में बांधकर घर में स्थित तिजोरी में रखें। दो कौड़ियों को खुद की जेब में भी हमेशा रखें, इससे धनलाभ होगा।

24:- बांसुरी रखें घर में : बांस निर्मित बांसुरी भगवान श्रीकृष्ण को अतिप्रिय है। जिस घर में बांसुरी रखी होती है, वहां के लोगों में परस्पर प्रेम तो बना रहता है और साथ ही सुख-समृद्धि भी बनी रहती है।

बांसुरी को आपकी उन्नति और प्रगति का सूचक बताया गया है। बांसुरी घर में मौजूद वास्तुदोष को भी दूर करता है। बांस से बनी बांसुरी की अहमियत काफी ज्यादा है। घर में प्रवेश करने वाले दरवाजे पर दो बांसुरी को क्रॉस करके लगाने से मुसीबतों से काफी हद तक पीछा छूट जाता है।

25:- घोड़े की नाल : कहते हैं कि घोड़े की नाल के होने से शनि का प्रकोप तो समाप्त हो ही जाता है, साथ ही दुर्भाग्य दूर होकर जीवन में खुशियों का संचार होता है। घोड़े की नाल को घर में स्थापित करने से जादू-टोने व बुरी नजर से मुक्ति मिलती है।

घोड़े की नाल को घर के मुख्य प्रवेश द्वार या लिविंग रूम के प्रवेश द्वार पर बाहर की ओर लगाया जाता है। हालांकि बाजार में आजकल घोड़े की नाल के नाम पर बस नाल ही मिलती है जिसे किसी भी घोड़े ने इस्तेमाल नहीं किया होता है।
पुराने समय में जिस घोड़े की नाल बेकार हो जाती थी उसे ही उपयोग में लाया जाता है। इसके पीछे क्या कारण है? यह बताना मुश्किल है।
वास्तुशास्त्री मानते हैं कि यदि घर का मुख्य द्वार उत्तर, उत्तर-पश्चिम या पश्चिम में हो तो उसके ऊपर बाहर की तरफ घोड़े की नाल लगा देना चाहिऐ

26:- सिक्कों से भरा चांदी का घड़ा : एक छोटा सा चांदी का घड़ा तांबे, चांदी, पीतल या कांसे के नए या पुराने सिक्कों से भरा हो। इसे घर की तिजोरी या किसी सुरक्षित स्थान पर रखने से धन और समृद्धि बढ़ती है। कई लोगों के घरों में यह होता है। यदि आपके घर में नहीं है तो आप भी बनवा लें।

27:- मछलीघर ( aquariums) : मछलियों को पवित्र माना गया है। मछलियां प्राणवायु और जल ऊर्जा का समन्वय करके घर की प्रकृति को जीवंत स्वरूप देती हैं इसलिए मछलीघर का प्रयोग वास्तुदोष निवारण के लिए भी किया जाता।

मछली के घर में होने से किसी भी प्रकार का संकट नहीं होता और घर में खुशियां हमेशा बरकरार रहती हैं। मछलियों को बेहतर तरीके से पाले जाने और उनकी देखरेख करने से घर में सदा शांति और समृद्धि का विकास होता है।

मछलीघर रखने से पहले किसी वास्तुशास्त्री से सलाह जरूर लें, क्योंकि इसको रखने की दिशा और कितनी तथा कौन सी मछलियां रखनी चाहिए, ये वही सही तरीके से बताएगा। यह भी विशेष ध्यान रखें कि मछलीघर में छोटी- छोटी और रंग-बिरंगी मछलियां ही होना चाहिए। बड़ी-बड़ी मछलियां नहीं रखनी चाहिए।

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