वृन्दावन - प्रेम की नगरी के कुछ अनजाने तथ्य
वृन्दावन एक बहुत मशहूर जगह जो प्रसिद्द है प्रेम और आध्यात्म के लिए, राधा और कृष्ण का प्रेम मथुरा वृन्दावन की गलियों में पनपा पला बढ़ा और सारे जग का हो गया, ये भी कह सकते हैं की कृष्ण सम्पूर्ण जग को प्रेम की भाषा दे गए है
आज उन्हीं की नगरी वृन्दावन की चर्चा करते हैं....
जी हां मथुरा के पास कान्हा की नगरी वृंदावन में एक ऐसी जगह है, जो कृष्ण और राधा की रासलीला के लिए प्रसिद्द हैं..... ऐसा माना जाता है कि आज भी हर रात कृष्ण और राधा यहां रासलीला करते हैं।
कौन-सी है वो जगह…वृंदावन में वैसे कई मंदिर हैं लेकिन निधि वन अपने आप में एक ख़ास मंदिर है। निधि वन के बारे में काफ़ी बातें प्रचनल में है यानि उसके बहुत से सीक्रेट्स हैं।
कहते हैं कि इस वन में रोज रात को राधा कृष्ण आते हैं और गोपियों के साथ रातभर रासलीला करते हैं।
क्या है कहावत निधिवन के बारे में...
आप अगर नहीं जानते तो ये एक रोचक बात हो सकती है आपके लिए .... ऐसा कहा जाता है हर रोज यहां रासलीला शुरू होने से पहले केवल इंसान ही नहीं, जानवर और पक्षी भी यहां से चले जाते हैं।
यहां बंदर बहुत हैं लेकिन वो भी रात को यहां नहीं रुकते। यहां का प्रवेश द्वार 8 बजे के बाद बंद कर दिया जाता है। लोगों का ये विश्वास है कि जो लोग जानते हुए या गलती से इस समय के बाद रुक जाते हैं वो या तो मर जाते हैं या अंधे, बहरे और गूंगे हो जाते हैं। इस कंडीशन में नहीं रहते कि बता पाएं उन्होंने क्या देखा। कुछ लोग यहां मर भी चुके हैं जिनकी समाधि यहां बनी है।
इस वन में क्या है खास
मंदिर के आसपास ढाई एकड़ में ये निधि वन बना है जिसमें रासलीला होती है।
निधि वन में बहुत सारे पेड़ लगे हैं, जिनमें से एक भी पेड़ सीधा खड़ा हुआ नहीं है।
सभी पेड़ एक दूसरे को छूते हैं। ये छोटे हैं और सभी लगभग एक ही साइज के हैं। कहते हैं हर पेड़ एक गोपी है। जब रात में रासलीला होती है, ये पेड़ गोपियां बन जाते हैं। रासलीला खत्म होने पर सुबह फिर से पेड़ बन जाते हैं। ये 16,000 पेड़ हैं, कहते हैं कि ये कृष्ण की 16,000 रानियां हैं। इन पेड़ों पर चिड़िया का भी कोई घोसला नहीं बनता। इस वन में वन- तुलसी के पेड़ लगे हैं। आश्चर्य की बात है कि ये सारे पेड़ अंदर से खोखले हैं और यहां की जमीन भी सूखी है। फिर भी ये पेड़ हरे रहते हैं। कुछ लोगों को यहां से रात में घुंघरू की आवाजें भी आती हैं।
रंग महल के बारे में...यहाँ जानते हैं
रंग महल
रंग महल इस वन में एक छोटा-सा मंदिर है। कहते हैं कि रासलीला के बाद थककर कृष्ण और राधा यहां आराम करते हैं।
इस मंदिर में कृष्ण और राधा की खूबसूरत मूर्तियां हैं जिन्हें ठाकुरजी और राधे बोलते हैं। ये राधा रानी का श्रृंगार गृह है, जहां श्रीकृष्ण राधा को तैयार करते हैं। इस मंदिर में एक सजा हुआ बिस्तर भी लगा है।
रोज रात में मंदिर बंद करने से पहले इस बिस्तर को सजाया जाता है। साथ में पुजारी यहां एक साड़ी, चूड़ियां, पान के पत्ते, बृश, लड्डू और पानी रखते हैं। सुबह ये सब वहां नहीं होता या बिखरा होता है, बिस्तर भी बिगड़ा हुआ होता है। राधा के गहने भी बिखरे होते हैं। कहते हैं इस मंदिर में पूजा करने से बहुत लाभ होता है। ये पेड़ और वन कृष्ण जी को बहुत पसंद थे।
क्यों इस मंदिर में ही ऐसा होता है…
ऐसा मिथ है कि स्वामी हरिदास ने श्रीकृष्ण को खुश करने के लिए साधना की थी। उनसे खुश होकर कृष्णजी उनके सामने प्रकट हुए। इस जगह को प्रकटस्थल कहते हैं। वैज्ञानिकों और हिस्टोरियन ने इस पहेली को समझने की कोशिश की लेकिन वो कुछ भी प्रूफ नहीं कर पाए। उन्होंने भी माना कि यहां श्रीकृष्ण रहते हैं।
कैसे पहुंचे मथुरा तक
कैसे पहुंचे..
By Air
यहां का नजदीकी एयरपोर्ट आगरा में है, जो यहां से 67 किमी दूर है। सभी बड़ी सिटी से आगरा के लिए फ्लाइट्स मिलती हैं। आप दिल्ली एयरपोर्ट भी जा सकते हैं और वहां से वृंदावन के लिए टैक्सी लेकर आ सकते हैं।
By Train
मथुरा रेलवे स्टेशन वृंदावन से 15 किमी दूर है। यहां सभी बड़ी सिटी से ट्रेनें आती हैं।
By Road
दिल्ली, आगरा से यहां रेग्युलर बसें चलती हैं।
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