मन - RJSURABHISAXENA

मन

बड़ा नादान मन है .... 
 कभी बच्चा सा मन
कभी शैतान मन है कभी मेरा हुआ तो कभी हारा भी मन है
कभी कच्चा हुआ तो
कभी सारा भी मन है
कभी तेरा हुआ जो
कभी अपना भी मन है
बड़ा बेदाग़ मन है
कभी माना हुआ तो
कभी रूठा सा मन है
मन की बात निकले तो
कभी वजनी भी मन है
कभी गैरों के जैसा
कभी सजनी सा मन है
कभी बैरी कभी कैरी सा
मन है ...
हमारा मन बेचारा
तुम्हारा जब हुआ
तब तभी से और अभी से
बड़ा बैचैन मन हैं
कभी सुरभित हुआ
कभी सुरभि सा मन है
तुम्हारे बिन बेचारा
बड़ा बैचैन मन है .....
कभी रण छेड़ बैठा
कभी दीपों सा मन है
तुम्हारे बिन बेचारा
बड़ा बैचैन मन हैं .......
#सुरभि

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