कृष्ण का नाम केशव कैसे पड़ा
*💐हरे कृष्ण💐*
*💐कृष्ण का नाम केशव कैसे पड़ा💐*
*यमुना के किनारे चीरघाट से कुछ पूर्व दिशा में केशी घाट अवस्थित है। श्रीकृष्ण ने यहाँ केशी दैत्य का वध किया था।*
*प्रसंग💐*
*एक समय सखाओं के साथ कृष्ण यहाँ गोचारण कर रहे थे। सखा मधुमंगल ने हँसते हुए श्रीकृष्ण से कहा-प्यारे सखा! यदि तुम अपना मोरमुकुट, मधुर मुरलिया और पीतवस्त्र मुझे दे दो तो सभी गोप-गोपियाँ मुझे ही प्यार करेंगी तथा रसीले लड्डू मुझे ही खिलाएँगी।*
*तुम्हें कोई पूछेगा भी नहीं। कृष्ण ने हँसकर अपना मोरपंख, पीताम्बर, मुरली और लकुटी मधुमंगल इठलाता हुआ इधर-उधर घूमने लगा। इतने में ही महापराक्रमी केशी दैत्य विशाल घोड़े का रूप धारण कर कृष्ण का वध करने के लिए हिनहिनाता हुआ वहाँ उपस्थित हुआ।*
*उसने महाराज कंस से सुन रखा था- जिसके सिर पर मोरपंख, हाथों में मुरली, अंगों पर पीतवसन देखो, उसे कृष्ण समझकर अवश्य मार डालना। उसने कृष्ण सजे हुए मधुमंगलको देखकर अपने दोनों पिछले पैरों से आक्रमण किया। कृष्ण ने झपटकर पहले मधुमंगल को बचा लिया*
*इसके पश्चात केशी दैत्य का वध किया। मधुमंगल को केशी दैत्य के पिछले पैरों की चोट तो नहीं लगी, किन्तु उसकी हवा से ही उसके होश उड़ गये। केशी वध के पश्चात वह सहमा हुआ तथा लज्जित होता हुआ कृष्ण के पास गया तथा उनकी मुरली , मयूरमुकुट, पीताम्बर लौटाते हुए बोला- मुझे लड्डू नहीं चाहिए। प्राण बचे तो लाखों पाये। ग्वाल-बाल हँसने लगे। इसलिए श्री कृष्णा जा नाम केशव पड़ा था आज भी केशीघाट इस लीला को अपने हृदय में संजोये हुए विराजमान है।*
*🌱हरी बोल🌱*
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