गावं के मेले, गावं के रेले - RJSURABHISAXENA

गावं के मेले, गावं के रेले


सौंधी मिटटी 
की ख़ुश्बू अब भी नहीं भूले हम 
गावं के वो 
कुछ झूले अब भी नहीं भूले हम  !!


याद समेटे हैं अब भी 
उन गलियों की 
जिनमें आवारा आवारा 
फिरते थे 
उन गलियों के 
रंग नज़ारे अब भी नहीं भूले हम !!


दादी की लोरी संग सोये 
जागे अम्मा की बोली से
गावं के मेले, गावं के रेले 
आम के बौरे, साग की ख़ुश्बू 
वो चटक हमारे अब भी नहीं भूले हम !!! 

#SURBHHI

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