चंदा की चिट्टी आई है
चंदा की चिट्टी आई है
मनवा को भायी है
जाने आँख काहे भर आई है
हाँ चंदा की चिट्टी आई है...
वो लिखता है ..
मैं अकेला हूँ
सारी दुनिया से अलबेला हूँ
तेरी याद में आंसू झरते हैं
बंजारों से हम फिरते हैं...
बस लगन तेरी मन लायी है
काहे आँख तुझसे उलझायी है
हाँ चंदा की चिट्टी आई है,
मेरे मनवा को भायी है ....
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