प्रेम

प्रेम प्रेम होता है, प्रेम किसी इंसान, जानवर, तस्वीर या किसी भी पसंदीदा चीज़ से हो सकता है, प्रेम किसी भी हाल में व्यर्थ नही होता .... जीवन से प्यार का जाना .... मतलब इंसान का काठ होने जैसा है... इस ख़ूबसूरत ज़िन्दगी को और खुशनुमा बनाने के लिए अच्छा है किसी के प्रेम में खुद को ढाल लिया जाये .....
मेरा अनुरागी, बेमतलब का ये इश्क़, एक रोज़ तेरे मन से गुज़रेगा
कहीं शाम को, तनहा अकेले बैठोगे, हमारा प्यार मन में उतरेगा
सुरभि
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