रास्तों का सफ़र नहीं .... - RJSURABHISAXENA

रास्तों का सफ़र नहीं ....


तमाम रास्ते बंद हो सकते हैं... पर रास्तों का सफ़र नहीं !

चलते चलते कमज़ोर पड़ सकती हूँ मैं
थक के कभी सुस्त भी हो सकती हूँ मैं ....

आँखें बंद कर भी लूं मैं, पर मंज़िल से हटेगी नज़र नहीं ! 

मर्जी से यहाँ किसी को, मिलता है कुछ कहाँ
फ़र्क बेटे, बेटी में देखा है मैंने अब भी यहाँ ....

पनाह में भर लूं तुझे मैं, पर मिली ऐसी कोई सहर नहीं ! 

सुरभि :-) :-) 

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