इम्तहाँ मत लो - RJSURABHISAXENA

इम्तहाँ मत लो


इम्तहां मेरे सब्र का यूँ तो मत लो दुनिया वालो
मेरी आँखों से छलक पड़ते हैं पैमाने दिल के

मैं भटक रहा हूँ उस ख़ुशबू की फ़िराक में यूँ ही
तुम मेरे संग न बहक जाना कभी, कहीं भूले से ।।।

सुरभि

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