इम्तहाँ मत लो
इम्तहां मेरे सब्र का यूँ तो मत लो दुनिया वालो
मेरी आँखों से छलक पड़ते हैं पैमाने दिल के
मैं भटक रहा हूँ उस ख़ुशबू की फ़िराक में यूँ ही
तुम मेरे संग न बहक जाना कभी, कहीं भूले से ।।।
सुरभि
इम्तहां मेरे सब्र का यूँ तो मत लो दुनिया वालो
मेरी आँखों से छलक पड़ते हैं पैमाने दिल के
मैं भटक रहा हूँ उस ख़ुशबू की फ़िराक में यूँ ही
तुम मेरे संग न बहक जाना कभी, कहीं भूले से ।।।
सुरभि
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