संग दिल
वो कहता है कि मुझे मैं की बुरी आदत है ..
वो जानता नहीं ये, मैं मैंने किन मुश्किलों से पाया है
तनहाइयों से गहरा रास्ता देखा, अंधेरों से भी स्याह रातों में गुज़र की हमने
तब कहीं जाकर इस मैं को अपनाया है ..
देने वाले ने मुझे हिम्मत भी बख्श की है बहुत .
चलते रहे अकेले तनहा, तब कहीं जाके तुझे पाया है
मोहब्बत ही नहीं मेरी ज़िन्दगी का मकसद है मेरे हमदम मेरे दोस्त
एक अपनापन ही माँगा था, तुमको भी नहीं माँगा था ..
पर एक बार फिर देखो मैंने संग दिल ही पाया है
सुरभि "सुर"
वो जानता नहीं ये, मैं मैंने किन मुश्किलों से पाया है
तनहाइयों से गहरा रास्ता देखा, अंधेरों से भी स्याह रातों में गुज़र की हमने
तब कहीं जाकर इस मैं को अपनाया है ..
देने वाले ने मुझे हिम्मत भी बख्श की है बहुत .
चलते रहे अकेले तनहा, तब कहीं जाके तुझे पाया है
मोहब्बत ही नहीं मेरी ज़िन्दगी का मकसद है मेरे हमदम मेरे दोस्त
एक अपनापन ही माँगा था, तुमको भी नहीं माँगा था ..
पर एक बार फिर देखो मैंने संग दिल ही पाया है
सुरभि "सुर"
bahut sundar bhavavivyakti......
ReplyDelete