ज़ख्मों में पीर कितनी है
काश कोई जान पाता मेरे ज़ख्मों में पीर कितनी है
तेरी बातों में तो था ही नशा,पर तेरी यादें तो तीर जितनी है
हँस के तो मुझे उसने गले से भी लगाया, गम के वक्त वो फिर पलट के न आया
तेरी बातों में तो था ही नशा,पर तेरी यादें तो तीर जितनी है
हँस के तो मुझे उसने गले से भी लगाया, गम के वक्त वो फिर पलट के न आया
सुरभि
बहुत बेहतरीन!
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