मेरी आरज़ू
कोई हमको देखे, कोई हमको चाहे, कोई हमको छू के संदल बना ले
इस मेरी आरज़ू को कोई गले से लगा ले ,
सितम तो ज़माने का हमें भी देखा, एक तुम्हीं तो नहीं हो घायल जहाँ के
दो बोल मीठे कोई हमसे बोले, कोई हमको शीतल सा मलहम लगा दे
इस मेरी आरज़ू को कोई गले से लगा ले ,
सितम तो ज़माने का हमें भी देखा, एक तुम्हीं तो नहीं हो घायल जहाँ के
दो बोल मीठे कोई हमसे बोले, कोई हमको शीतल सा मलहम लगा दे
bahut sundar rachna hai. meri shubhkamnayen. khub likhiye bahut achha likhti rahiye
ReplyDeletebhupal sood