हर घाव हरा रखा है.......... - RJSURABHISAXENA

हर घाव हरा रखा है..........

मैंने हर तीर बचा रखा है,
तू जो सामने आये तुझको दिखलायूं हर घाव हरा रखा है..

मलहम तो बहुत मिल जायेंगे..पर ज़ख्म कहाँ से लायेंगे ...
जब सामने तुम आ जाओगे..
ये सोच हर दर्द को सीने से लगा रखा है...
तू जो सामने आये, तुझको दिखलायूं हर घाव हरा रखा है..

कितनी उल्फ़त से ,बड़ी शिद्दत से निभाया हर रिश्ता हमने 
सालों तेरे इश्क की उम्मीद में घुटते रहे,मरते ही रहे ...
अपने प्यार की मईयत को अब तो हाथों में उठा रखा है ...
तू जो सामने आये, तुझको दिखलायूं हर घाव हरा रखा है..

एक मंजिल कहो या कह लो मोड़ उसे, 
या फिर कह लो मोहब्बत का तोड़ उसे 
सब पार करके देख लिया,हर ख़ूब-सूरत रिश्ते को दूर होते देख लिया ....
इश्क़ की आग ने दिल को अब तो नफ़रत से भरा रखा है ...
तू जो सामने आये, तुझको दिखलायूं हर घाव हरा रखा है...

सुरभि 



3 comments:

  1. ''ghawo ko hara rkha hai''
    drd ko zindgi kyun banaya jaye
    zkhmo ko kured kar nasoor kyun kiya jaye
    soch ka andaz bdl de ,e dost!
    kyun kisi ki dee cheez ke sahare jiya jiye

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  2. 'har ghaw hara rkha hai '
    drd ko jeene ka andaz kyun bnaye jaye?
    zkhmo ko kured kar kyu nasur bnaya jaye ?
    kyun jiye kisi ki di 'aisi' saugaton ke sath ?
    zindgi ko kyun khud bojh bnale apna
    kyun khoon ke aansuo ke sath jiya jaye?

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  3. वाह बहुत खूब ........ ....................

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