मेरी आकर्षिता - RJSURABHISAXENA

मेरी आकर्षिता


तू ही है मेरा सूरज ,तू ही है मेरा चंदा
दीप है मेरे प्यार का,देख तुझे हूँ मैं जिंदा
तुझसे मेरा घर उजियारा,तू है वो रोशन तारा
नन्हीं मुन्नी ठनक खनक सुन ....
खिल जाता हैं हर पल मेरा

तू ही है इस सूने जीवन की प्रकाशित दिशा
एक नयी परिभाषा, बन आई वो मेरी आकर्षिता

नन्हें हाथों में भरकर वो मुझे प्यार का कौर खिलाती है
माँ हूँ उसकी उसे पता है पर वो मुझे गुड़िया कहकर बुलाती है

जीवन के अंधियारे को उसने रोशन कर डाला है
लगता यूँ हैं जैसे मैंने उसे नहीं ,उसने मुझको पाला हैं
भरी प्यार से हर्षित वो मेरी आकर्षिता ................

1 comment:

  1. alle baba ,itti pyari beti
    mamma ne kitni pyara likha hai tumhare bare me
    betiya hi to hai jo aawaj sun kar maa bap ke mn ki sthiti smjh leti hai ,budhape me
    bete paraye ho jaye ,betiya kbhi paraee nhi hoti
    pyar

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