प्रकृति के हर रंग से ख़ुद को सजायूँ मैं - RJSURABHISAXENA

प्रकृति के हर रंग से ख़ुद को सजायूँ मैं

वो रंग जो मेरे जीवन से धुल गया जैसे 
उसे एक बार धरती से चुरा लूं मैं ,
प्रकृति से नहा लूं मैं ,कभी मैं लाल हो जाऊ ,
धानी चुनरी ओढ़ कर मैं भी तो इठ्लाऊ,
कभी हरे कंगना भी खन्काऊ,

हर रंग को आँचल मैं भर लूं मैं , 
प्रकृति के हर रंग से ख़ुद को सजायूँ मैं..

2 comments:

  1. aap kisi bhi rang me raho sada khus raho .....

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  2. rang to rang hai dhul bhi jate hai rang sajaye bhi jate hai

    bus ab ek naye rang ki talash hai jo ab lage to kahi na ..........

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