प्रकृति के हर रंग से ख़ुद को सजायूँ मैं
वो रंग जो मेरे जीवन से धुल गया जैसे
उसे एक बार धरती से चुरा लूं मैं ,
उसे एक बार धरती से चुरा लूं मैं ,
प्रकृति से नहा लूं मैं ,कभी मैं लाल हो जाऊ ,
धानी चुनरी ओढ़ कर मैं भी तो इठ्लाऊ,
कभी हरे कंगना भी खन्काऊ,
हर रंग को आँचल मैं भर लूं मैं ,
प्रकृति के हर रंग से ख़ुद को सजायूँ मैं..
धानी चुनरी ओढ़ कर मैं भी तो इठ्लाऊ,
कभी हरे कंगना भी खन्काऊ,
हर रंग को आँचल मैं भर लूं मैं ,
प्रकृति के हर रंग से ख़ुद को सजायूँ मैं..
aap kisi bhi rang me raho sada khus raho .....
ReplyDeleterang to rang hai dhul bhi jate hai rang sajaye bhi jate hai
ReplyDeletebus ab ek naye rang ki talash hai jo ab lage to kahi na ..........