बसेरा
हमारे दिल को जब से घर तुमने बनाया है
जहाँ को छोड़ा तुम्हारे दिल में , बसेरा खूब पाया है
तुम्हारे साथ तो हम टूटी छत में भी बसर कर लेते ....
फिर दूर जाकर तुमने आशियाने का सपन क्योंकर दिखाया है
कभी तुमने हमारे दर्द की तस्दीक़ की होती कभी तो समझा होता,
हमेशा कहते रहे तुम बस , क्या खूब प्यार तुमने जताया है
जहाँ को छोड़ा तुम्हारे दिल में , बसेरा खूब पाया है
तुम्हारे साथ तो हम टूटी छत में भी बसर कर लेते ....
फिर दूर जाकर तुमने आशियाने का सपन क्योंकर दिखाया है
कभी तुमने हमारे दर्द की तस्दीक़ की होती कभी तो समझा होता,
हमेशा कहते रहे तुम बस , क्या खूब प्यार तुमने जताया है
सुरभि जी
ReplyDelete"कभी तुमने हमारे दर्द की तस्दीक़ की होती कभी तो समझा होता,"
सुन्दर पंक्ति है
भाव काफी अच्चे है इन चाँद पंक्तियों में.
- विजय