मुकम्मल - RJSURABHISAXENA

मुकम्मल

मुकम्मल नही हुआ तो क्या, यही तो संसार है
हर रिश्ता यहाँ जरूरी नहीं गुलज़ार है
कुछ मिले न मिले ,तेरा हँसना एक कमाल है
नहीं तो हर तरफ़ दर्द का कारोबार है

1 comment:

  1. सुरभि जी
    अभिवंदन
    कितनी सुन्दर पंक्ति है :-

    नहीं तो हर तरफ़ दर्द का कारोबार है
    अच्छा लिखा है, बधाई
    - विजय

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