साज़ की तरह
देखा कल एक सपना
तुम आए साज़ की तरह
खुशियों की आवाज़ की तरह
साथ चलते रहे,कभी उड़े साथ मेरे
कभी चहके परवाज़ की तरह
कभी तुम बिगड़े मुझ से यूँ..दर्द देकर ही गये
लो कभी तुम मिले हमसे हम-राज़ की तरह...
अब तो याद ही रह गयी है आसपास तेरी मेरी।
बैठे है इंतज़ार में तेरी तू कह दे कभी गुलज़ार की तरह ....
तुम आए साज़ की तरह
खुशियों की आवाज़ की तरह
साथ चलते रहे,कभी उड़े साथ मेरे
कभी चहके परवाज़ की तरह
कभी तुम बिगड़े मुझ से यूँ..दर्द देकर ही गये
लो कभी तुम मिले हमसे हम-राज़ की तरह...
अब तो याद ही रह गयी है आसपास तेरी मेरी।
बैठे है इंतज़ार में तेरी तू कह दे कभी गुलज़ार की तरह ....
nice kavita dil ko choo lene wali bat
ReplyDeletesapna,
ReplyDeletesaz,
khushi,
parwaz,
dard,
hum raz,
gulzar
ka prayog bhut hi sundar tarike se hua hai ....