बंजारा-मन
कहता रहा दिल तुमसे जाने कितनी ही बात ...
हर बात से निकली है , आज मेरे दिल की हर बात ...
जिस दिन से तुमने मेरे मन को घर अपना बना लिया ...
उस दिन से बंजारा सा फिरा मन, कैसे कहूँ ये बात की बात ,
हर बात से निकली है , आज मेरे दिल की हर बात ...
जिस दिन से तुमने मेरे मन को घर अपना बना लिया ...
उस दिन से बंजारा सा फिरा मन, कैसे कहूँ ये बात की बात ,
दिल में दबा, फ़सानों का ख़ज़ाना है,
ReplyDeleteहो चला किस्सा बड़ा पुराना है,
बात करनी थी तुझसे कई सारी,
पर खो चला अब वो ज़माना है,
तुझे ढूंढने को बंजारों सा फिरता हूं,
सब कहते, पाग़ल है, दीवाना है…
man ke pasho-pesh kee badhiyaa baangi dikhi hai aapki is rachnaa men..
kamal hai good hai
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