कृष्णा
सन्त जन कहते हैं कि भक्त अतिशय दुःख को भी भगवान की कृपा ही समझते हैं l कंस अभिमान का प्रतीक है l वह जीवमात्र को बंद किये रहता है lसभी जीव इस संसाररूपी कारागृह में बंद हैं
जब कंस ने वसुदेव और देवकी को कारागार में बंद कर दिया तो उन्होंने यही माना शायद प्रभु को यही पसन्द है l प्रभु नाम स्मरण करने के लिए ही वसुदेव देवकी को एकान्तवास मिला है
वसुदेव देवकी कारावास में भी जागृत थे lजीव जब तक काम के अधीन है तब तक स्वतंत्र नहीं है lसंसार में जो जागृत रहता है ,वही भगवान को पा सकता है l जो भगवान के लिये जागता है , भगवान के लिए रोता है उसे ही भगवान मिलते हैं
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*°कृष्णमयरात्रि°*
*"श्री कृष्णाय समर्पणं "*
*° जैश्रीराधेकृष्ण°*
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*"श्री कृष्णाय समर्पणं "*
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