डॉ विष्णु सक्सेना का गीत वैलेंटाइन यानि प्रेम दिवस पर आधारित
आज आधुनिक वेलेंटाइन डे (प्रेम दिवस) पर हमारा शाश्वत गीत----
बातों में मिश्री ग़लती ज्यों
वैसे मुझमें घुल मिल जाओ।
ख़ुशबू ही ख़ुशबू भर दूँगा
देकर के अपना दिल जाओ।
सूरज ज्यों संध्या की गोदी
में सिर रखकर सो जाता है,
पूरी रात भोर के मीठे
सपनों में फिर खो जाता है।
कलियाँ चटकीं, हँसीं खिलखिला
वैसे ही तुम भी खिल जाओ।
खुशबू.....
में सिर रखकर सो जाता है,
पूरी रात भोर के मीठे
सपनों में फिर खो जाता है।
कलियाँ चटकीं, हँसीं खिलखिला
वैसे ही तुम भी खिल जाओ।
खुशबू.....
धूप खिले, चंदा छिप जाता
लिए चांदनी उसके पीछे,
मैं भी तेरी इन बाहों में
छिपा हुआ हूँ आँखें मींचे,
बर्फ गले पानी बन जाए
मुझमे यूँ हो शामिल जाओ।
खुशबू.....
लिए चांदनी उसके पीछे,
मैं भी तेरी इन बाहों में
छिपा हुआ हूँ आँखें मींचे,
बर्फ गले पानी बन जाए
मुझमे यूँ हो शामिल जाओ।
खुशबू.....
शलभ करे ज्यों प्रीत दीप से
सरिता प्रीत करे सागर से,
मुझमे अमृत सा छलका दो
अपने अधरों की गागर से,
सब कुछ कह दो कुछ ना कहकर
ऐ अधरो कुछ पल सिल जाओ।
खुश्बू.....
सरिता प्रीत करे सागर से,
मुझमे अमृत सा छलका दो
अपने अधरों की गागर से,
सब कुछ कह दो कुछ ना कहकर
ऐ अधरो कुछ पल सिल जाओ।
खुश्बू.....
#डा.विष्णु सक्सैना
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