तो कोई याद आया
जब कभी बरसे हैं, बादल तो कोई याद आया
भीग के तर हुआ, आँगन तो कोई याद आया
छुपा हुआ था घटाओ में, चाँद का टुकड़ा
फिर सरकने लगा, आँचल तो कोई याद आया
बहार ऐ नौ से महकने, लगी शहर की फिज़ा
ख़ुशी से खिल उठी दुल्हन तो कोई याद आया
बदन को छू के गुज़री हैं, महकती सांसें
जिस्म लगने लगा, संदल तो कोई याद आया
फूलों का रंग बदलने लगा हिजरत की घडी
हसन रुख्सत हुआ मौसम तो कोई याद आया
सैयद महफूज़ हसन
रेडियो जॉकी
FM 100
भीग के तर हुआ, आँगन तो कोई याद आया
छुपा हुआ था घटाओ में, चाँद का टुकड़ा
फिर सरकने लगा, आँचल तो कोई याद आया
बहार ऐ नौ से महकने, लगी शहर की फिज़ा
ख़ुशी से खिल उठी दुल्हन तो कोई याद आया
बदन को छू के गुज़री हैं, महकती सांसें
जिस्म लगने लगा, संदल तो कोई याद आया
फूलों का रंग बदलने लगा हिजरत की घडी
हसन रुख्सत हुआ मौसम तो कोई याद आया
सैयद महफूज़ हसन
रेडियो जॉकी
FM 100
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