गुरु एक ज्ञान है
-:- गुरु की मेहरवानी -:-
--मैने एक आदमी से पूछा कि गुरू कौन है! वो सेब खा रहा था,उस ने एक सेब मेरे हाथ मैं देकर मुझ से पूछा
--मैने एक आदमी से पूछा कि गुरू कौन है! वो सेब खा रहा था,उस ने एक सेब मेरे हाथ मैं देकर मुझ से पूछा
इस में कितने बीज हें बता सकते हो ?
--सेब काटकर मैंने गिनकर कहा तीन बीज हैं!
उस ने एक बीज अपने हाथ में लिया और फिर पूछा इस बीज में कितने सेब हैं यह भी सोचकर बताओ?मैं सोचने लगा एक बीज से एक पेड़, एक पेड़ से अनेक सेव अनेक सेबो में फिर तीन तीन बीज हर बीज से फिर एक एक पेड़ और यह अनवरत क्रम! वो मुस्कुराते हुए बोले : बस इसी तरह परमात्मा की कृपा हमें प्राप्त होती रहती है! बस हमें उस की भक्ति का एक बीज अपने मन में लगा लेने की ज़रूरत है!
-:-गुरू एक तेज हे जिन के आते ही, सारे सन्शय के अंधकार खतम हो जाते हैं!
-:-गुरू वो मृदंग है जिस के बजते ही अनाहद नाद सुनने शुरू हो जाते है!
-:-गुरू वो ज्ञान हैं जिस के मिलते ही पांचो शरीर एक हो जाते हैं!
-:-गुरू वो दीक्षा है जो सही मायने में मिलती है तो भवसागर पार हो जाते है!
-:-गुरू वो नदी है जो निरंतर हमारे प्राण से बहती हैं!
-:-गुरू वो सत चित आनंद है जो हमें हमारी पहचान देता है!
-:-गुरू वो बासुरी है जिस के बजते ही अंग अंग थीरकने लगता है!
-:-गुरू वो अमृत है जिसे पीकर कोई कभी प्यासा नही रहता है!
-:-गुरू वो मृदँग है जिसे बजाते ही सोहम नाद की झलक मिलती है!
-:-गुरू वो कृपा ही है जो सिर्फ कुछ सद शिष्यों को विशेष रूप मे मिलती है और कुछ पाकर भी समझ नही पाते हैं!
-:-गुरू वो खजाना है जो अनमोल है!
-:-गुरू वो समाधि है जो चिरकाल तक रहती हैं!
-:-गुरू वो प्रसाद है जिस के भाग्य मे हो उसे कभी कुछ भी मांगने की ज़रूरत नही पड़ती हैं
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