जन्मदिन पर ख़ास - उत्तम कुमार - RJSURABHISAXENA

जन्मदिन पर ख़ास - उत्तम कुमार

उत्तम कुमार का जन्म हुआ था 3 सितंबर 1926 को भवानीपुर कोलकाता के गिरीश मुखर्जी रोड स्थित अपने पुश्तैनी मकान में....


बांग्ला फ़िल्मों के महानायक
माने जाते थे आपने कोलकाता के ही स्कूल (मेन) से स्कूली शिक्षा के बाद कोलकाता विश्वविद्यालय के गोयेनका कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड बिजनेस ऐडमिनिस्ट्रेशन में दाखिला लिया लेकिन किसी कारणवस वे अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए और उन्होंने कलकत्ता पोर्ट ट्रस्ट में कलर्क की नौकरी ज्वॉयन कर ली।

अभिनेता, निर्माता, निर्देशक उत्तम कुमार की बतौर नायक पहली फ़िल्म थी नितिन बोस निर्देशित दृष्टिदान। सुचित्रा सेन के साथ उनकी जोड़ी खूब पसंद की गई। सुचित्रा के साथ उनकी सप्तपदी, पौथे होलो देरी, हारानो सुर, चावा पावा, बिपाशा, जीवन तृष्णा और सागरिका जैसी फ़िल्में बेहद लोकप्रिय रहीं।
बांग्ला के साथ-साथ उन्होंने पांच हिन्दी फ़िल्मों में भी अभिनय किया। 1967 में छोटी सी मुलाक़ात (स्वयं निर्माता), 1975 में अमानुष, 1 977 में आनंद आश्रम 1979 में क़िताब और दूरियां।

उनका असली नाम था अरुण कुमार चैटर्जी। कोलकाता में हाजरा अंचल में उनके नाम पर उत्तम थियेटर है तथा टालीगंज ट्रामडिपो के समक्ष उनका विशाल स्टैच्यु सड़क के चौंक पर लगाया गया है। और अब विगत वर्ष २००९ में टालीगंज मेट्रो स्टेशन का नामकरण महानायक उत्तम कुमार हो गया है।

उनके एकमात्र पुत्र गौतम कुमार चटर्जी (दिवंगत) एक व्यवसायी थे। फिल्मों में उनकी रुचि नहीं थी लेकिन उत्तम के पौत्र गौरव बांग्ला फ़िल्मों में अभिनय कर रहे हैं। उनकी ख़्वाहिश थी कि अभिनय करते हुए उनका दम निकले और हुआ भी ऐसा ही। 1980 में "ओ गो बोधु शुंदरी" की शूटिंग के दौरान हृदयाघात से उनका निधन हो गया।

बतौर नायक अभिनेता उत्तम कुमार की पहली फ़िल्म 'दृष्टिदान' थी, जिसे मशहूर निर्देशक नितिन बोस ने निर्देशित किया था। तो वहीँ पर सुचित्रा सेन के साथ उनकी जोड़ी खूब पसंद की गई। सुचित्रा के साथ उनकी 'सप्तपदी', 'पौथे होलो देरी', 'हारानो सुर', 'चावा पावा', 'बिपाशा', 'जीवन तृष्णा' और 'सागरिका' जैसी फ़िल्में बेहद पसंद की गयी । बंगाली के साथ-साथ उन्होंने कई हिन्दी फ़िल्मों में भी अभिनय किया,

जैसे-

'छोटी सी मुलाक़ात' - 1967 (स्वयं निर्माता)
'अमानुष' - 1975
'आनंद आश्रम' - 1977
'क़िताब' - 1979
'दूरियां' - 1979

जैसे हिन्दी सिनेमा जगत में राज कपूर साहब और नरगिस की जोड़ी याद की जाती है, ठीक उसी तरह बंगाली सिनेमा में उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन का कोई मुकाबला नहीं था। प्रेम को इस तीव्रता से वे अपने अभिनय में ऐसे व्यक्त करते थे कि दर्शक दंग रह जाते थे। यही वजह रही कि दर्शक इस जोड़ी से कभी बोर नहीं हुए। दो दशक तक तीस फ़िल्मों में दोनों ने अपने अभिनय के रंग बिखेरे और इनमें से ज्यादातर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल रहीं। उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन बंगाली सिनेमा के व्यवसाय को एक बार फिर ऊपर की ओर ले गए, क्योंकि जब उन्होंने बंगाली सिनेमा में कदम रखा था, तब वहां के फ़िल्म उद्योग की हालत खस्ता थी। ऐसे में उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन के स्टारडम ने दर्शकों के बीच पहचान बनाई और बंगाली फ़िल्में फिर सफल होने लगीं।

फ़िल्म 'अग्निपरीक्षा' से उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन की जोड़ी सफल हुई थी। दोनों ने फ़िल्म में इस कदर डूब कर रोमांस किया कि कई लोग उन्हें पति-पत्नी मानने लगे। फ़िल्मी पर्दे पर जिस तरह से वे रोमांस करते थे, उस कारण आज भी कई लोग मानते हैं कि उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन में प्रेम था। पर्दे पर दर्शक दोनों को खुशहाल जोड़ी के रूप में देखना पसंद करते थे।

फ़िल्म 'शिल्पी' में उत्तम कुमार के किरदार की आखिर में मौत दिखाई गई और इस कारण फ़िल्म फ्लॉप हो गई थी। सु‍चित्रा और उत्तम कुमार बेहतरीन कलाकार थे। दोनों साथ काम करते तो उनका अभिनय और निखर जाता था।

उन्होंने कई अलग-अलग भूमिकाएं अभिनीत कीं और अपने बेहतरीन अभिनय से यादगार बनाया। बिना कहे दोनों बहुत कुछ कह जाते थे और दोनों के रोमांटिक सीन में पर्दा जगमगाने लगता था। उन पर फ़िल्माए गए गीत सुपरहिट रहे।

एक और सितारा डूब गया, उत्तम कुमार का निधन 24 जुलाई, 1980 को पश्चिम बंगाल में हुआ। कोलकाता में हाजरा अंचल में उनके नाम पर 'उत्तम थियेटर' है तथा टालीगंज ट्रामडिपो के समक्ष उनका विशाल पुतला सड़क के चौक पर लगाया गया है।

साल 2009 में टालीगंज मेट्रो स्टेशन का नामकरण 'महानायक उत्तम कुमार' हो गया है। उत्तम कुमार के एकमात्र पुत्र गौतम कुमार चटर्जी (दिवंगत) एक व्यवसायी थे। फ़िल्मों में उनकी रुचि नहीं थी, लेकिन उत्तम के पौत्र गौरव ने बांग्ला फ़िल्मों में अभिनय किया। उनकी ख़्वाहिश थी कि अभिनय करते हुए उनका दम निकले और हुआ भी ऐसा ही। 1980 में 'ओ गो बोधु शुंदरी' की शूटिंग के दौरान हृदयाघात से उनका निधन हो गया।


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