साज़ साज़ आवाज़
हर साज़ साज़ आवाज़ बन, मेरे ज़िगर के पार चले
हर राग रंग मधुस्वांस बन, मेरे मन के अथाह चले !!
मन के चंचल कोने बसके, कवि की भांति हर बार पले
रग रग में, इस चितवन और नयन में बस तुम समा चले
सु₹भि
हर साज़ साज़ आवाज़ बन, मेरे ज़िगर के पार चले
हर राग रंग मधुस्वांस बन, मेरे मन के अथाह चले !!
मन के चंचल कोने बसके, कवि की भांति हर बार पले
रग रग में, इस चितवन और नयन में बस तुम समा चले
सु₹भि
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