किसी मोड़ पर .... - RJSURABHISAXENA

किसी मोड़ पर ....

अधूरा होकर भी अफ़साना है. बस तुझे ये समझाना है

कोई जाने या जाने,मेरे ज़ख्मों  पर मरहम  तुझे लगाना है 

बहती हवा में खुशबू तेरी हम पाते है, भूलना भी चाहे पर भुला न पाते है 

रस्मों रिवाजों को तोड़ कर अब तुझको भी आना है,

कभी तुमने हमें बुलाया था , और आज वैसे ही किसी मोड़ पर तुम्हें मेरे पास आना है 


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