काव्य - RJSURABHISAXENA

काव्य

मेरे जीवन के गीतों मैं जो तुम आकर बस जाते

मामूली से गीत वही क्या काव्य नही कहलाते

उन गीतों को जो तुम गा लो तो मेरा जीवन सार्थक हो जाए

गीतों के बोलो मैं घुल कर.

बांसुरी कि तानो को सुन कर मैं तेरी मीरा हो जाऊ.

थाम जो लेते तुम मेरे जीवन के दुखो को।

तो क्या वो दुःख फिर मेरे घन शाम नही बन जाते ।

सुरभि

3 comments:

  1. अच्छा लिखा है आपने , साथ ही आपका चिटठा भी खूबसूरत है । यूँ ही लिखते रहे ।

    हमें भी उर्जा मिलेगी ,

    धन्यवाद
    मयूरअपनी अपनी डगर

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